कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज का त्यौहार मनाया जाता है। इस खास दिन बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और धन-संपत्ति की कामना करती हैं और उन्हें तिलक लगाती हैं। सौभाग्य के प्रतीक के रूप में भाई अपनी बहनों को उपहार भेंट करते हैं।

साल में दो बार यह त्यौहार मनाया जाता है। चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को साल का पहला भाई दूज मनाया जाता है। भाई दूज भाई-बहन के प्यार का प्रतीक है।

पूरे देश में, इस उत्सव को भाई फोटा, भाऊ बीज, भाई बिज, भाऊ बीज, भतरु द्वितीया, यम द्वितीया, भतरु दित्या, भाई तिहार और भाई टिक्का के नाम से भी जाना जाता है। यह त्यौहार प्रतिवर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है।

हिंदू पंचांग के अनुसार भाई दूज 2 नवंबर को रात 8:21 बजे से शुरू होकर 3 नवंबर को रात 10:05 बजे समाप्त होगा। उदय पंचांग के अनुसार भाई दूज का त्यौहार 3 नवंबर रविवार को मनाया जाएगा।

दोपहर 1:19 बजे से 3:22 बजे तक भाई दूज पर तिलक लगाने का शुभ समय है। भाई दूज पर तिलक लगाने के लिए दो घंटे बारह मिनट का समय रहेगा।

बहनें इस दिन अपने भाई की खुशहाली, धन-संपत्ति और लंबी उम्र के लिए सभी देवी-देवताओं से प्रार्थना करती हैं, उन्हें तिलक लगाती हैं और नारियल भेंट करती हैं। इसके बाद भाई अपनी बहनों की सुरक्षा की शपथ लेते हैं।

हिंदुओं के लिए भाई दूज एक महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध त्यौहार है। भाई दूज भाई-बहनों के लिए एक दूसरे के प्रति अपने प्यार और सम्मान को दिखाने का एक शानदार अवसर है। इसके अलावा, भाई दूज का धार्मिक महत्व भी है।

सोशल मीडिया पर जश्न: लोग अब सोशल मीडिया पर अपने प्रियजनों के साथ खुशियाँ साझा करके इस दिन को मनाते हैं। फेसबुक और इंस्टाग्राम पर कहानियाँ और पोस्ट अविश्वसनीय रूप से लोकप्रिय हैं।

कथा के अनुसार कार्तिक शुक्ल द्वितीया के दिन यमुना ने अपने भाई यमराज से वरदान मांगा था कि जो भी भाई इस दिन अपनी बहन के घर जाकर तिलक संपन्न करेगा, उसे यमराज से वर मिलेगा।